SCO शिखर सम्मेलन 2025: बहुध्रुवीय विश्व की ओर बड़ा कदम
तिआंजिन, चीन – 2025 में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब दुनिया एकध्रुवीय व्यवस्था से हटकर बहुध्रुवीय वैश्विक ढांचे की ओर तेजी से बढ़ रही है। इस सम्मेलन में सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अवसर जैसे मुद्दों को नई दिशा दी गई।
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शी जिनपिंग का ऐलान
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में न्यायपूर्ण, संतुलित और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की आवश्यकता है। उन्होंने SCO विकास बैंक स्थापित करने का प्रस्ताव रखा और आर्थिक सहयोग को मज़बूत करने के लिए 2 अरब युआन सहायता तथा 10 अरब युआन ऋण की घोषणा की। यह संकेत है कि चीन SCO को केवल एक सुरक्षा मंच नहीं बल्कि एक आर्थिक और विकास उन्मुख संस्था के रूप में देख रहा है।
मोदी का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 साल बाद चीन यात्रा की और राष्ट्रपति शी से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने माना कि भारत और चीन को प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि विकास भागीदार बनना चाहिए। मोदी ने अपने भाषण में चार प्रमुख बिंदुओं पर जोर दिया:
- आतंकवाद और आतंक वित्तपोषण के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई
- संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान
- बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की आवश्यकता
- व्यापार, निवेश और आपूर्ति श्रृंखला में बेहतर कनेक्टिविटी
मोदी ने SCO को नया अर्थ देते हुए कहा:
- 🔒 S – Security (सुरक्षा): आतंकवाद से मुकाबला और स्थिरता
- 🌐 C – Connectivity (कनेक्टिविटी): व्यापार और बुनियादी ढांचे का विस्तार
- 📈 O – Opportunity (अवसर): विकास और नवाचार की संभावनाएँ
“SCO को Security, Connectivity और Opportunity का प्रतीक बनना चाहिए।” – नरेंद्र मोदी
रूस का रुख
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने संबोधन में पश्चिमी देशों की “सैन्यीकरण नीति” और शीतयुद्ध जैसी मानसिकता की आलोचना की। उन्होंने कहा कि SCO एक ऐसा मंच है जो एशिया और यूरेशिया को स्थिरता और वैकल्पिक विकास मॉडल दे सकता है। रूस का यह रुख स्पष्ट करता है कि वह SCO को पश्चिमी वर्चस्व के मुकाबले एक रणनीतिक मंच के रूप में देखता है।
रिकॉर्ड भागीदारी
इस सम्मेलन में 20 देशों के नेता और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठन शामिल हुए। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन की मौजूदगी ने सम्मेलन को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। इससे SCO की वैश्विक प्रासंगिकता और बढ़ती ताकत का पता चलता है।
मुख्य निष्कर्ष
- SCO अब केवल क्षेत्रीय सुरक्षा मंच नहीं बल्कि एक आर्थिक और कूटनीतिक शक्ति केंद्र बन रहा है।
- चीन ने वित्तीय पैकेज और विकास बैंक की घोषणा कर आर्थिक नेतृत्व दिखाया।
- भारत-चीन रिश्तों में सहयोग और साझेदारी की नई संभावनाएँ बनीं।
- भारत का फोकस: आतंकवाद, संप्रभुता, सुधार, कनेक्टिविटी और अवसर।
- रूस ने पश्चिमी दबाव और सैन्यीकरण के खिलाफ अपनी स्थिति साफ की।
SCO शिखर सम्मेलन 2025 ने यह स्पष्ट कर दिया कि संगठन अब केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं है। आर्थिक सहयोग, रणनीतिक साझेदारी और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की दिशा में SCO एक वैश्विक प्रभावशाली मंच के रूप में उभर रहा है। आने वाले वर्षों में यह संगठन विश्व राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।